हाँ, मैं हूँ तुकबंद।
'जान' से 'शान', या 'कान' को ,
फिट करने के ,
पैन्चीदे छंद मुझे पसंद।
हाँ, मुझे भाते हैं ,
प्यार, व्यार और गम के रूमाली पुलाव;
बंदिश, वर्जिश और साज़िश का,
पर ना बना सेक्सी हिसाब।
हाँ, मैंने देखे हैं,
वो भूके, वो नंगे, वो शर्मसार;
फूड कोर्ट में धडकते दिलों को,
उनसे क्या सरोकार।
हाँ मुझे भारी हैं,
माल, फूड कोर्ट, और लव आजकल;
कुछ टेढ़ी तुकबन्दियाँ,
और कुछ सस्ते, सीधे पल।
1 comment:
closet poet you have been Arunda :) lovely...keep at it...
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