Monday, February 04, 2013

Haan, Mein Hoon Tukband...


हाँमैं हूँ तुकबंद। 
'जान' से 'शान', या 'कान' को ,
फिट करने के ,
पैन्चीदे छंद मुझे पसंद।

हाँ, मुझे भाते हैं ,
प्यार, व्यार और गम के रूमाली पुलाव;
बंदिश, वर्जिश और साज़िश का,
पर ना बना सेक्सी हिसाब।  

हाँ, मैंने देखे हैं,
वो भूके, वो नंगे, वो शर्मसार;
फूड कोर्ट में धडकते दिलों को,
उनसे क्या सरोकार। 


हाँ मुझे भारी हैं,
माल, फूड कोर्ट, और लव आजकल;
कुछ टेढ़ी तुकबन्दियाँ,
और कुछ सस्ते, सीधे पल। 

1 comment:

Shilpa Das said...

closet poet you have been Arunda :) lovely...keep at it...